काश ! आते तुम एक बार खत्म होता ये इन्तजार……
कहते तुम कुछ अपनी, सुनते कुछ मेरी
रहते हम दोनो, बस अपने मे गुम
काश ! आते तुम एक बार…॥बताते…।
कैसे कटे ये दिन, कैसी गुजरी ये राते
क्यों थी आखो मे नमी, क्यों थी ये सासे थमी
काश ! आते तुम एक बार …………
काश ! तुम आते आज……
मिलती उम्मीद ज़िन्दगी को
जैसे मिलता है पानी प्यासे को
काश ! आते तुम एक बार ………
मालूम है ये दिल को
रहेगा ये सपना अधूरा…
आखो मे एक बूद बन के,
दिल मे दर्द बनके…
फ़िर भी करता है, उम्मीद अधुरी सी…
काश ! आते तुम एक बार
कभी ना जाने के लिए खतम होता
ये इन्तजार…मॊत के आने से पहले॥k
Wednesday, May 6, 2009
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