Tuesday, October 28, 2008

ये बड़ी अजीब सी बात है....

ये बड़ी अजीब बात है,जिसने साथ छोड़ दिया, आज वही मेरे साथ है,भुलाने की कोशिश कर रहा था,पर दिल की गहराइयों मे दबे कई जज़बात हैं,कुछ यादें, कुछ बातें,कुछ साथ बिताए दिन, कुछ जाग कर कटी रातें,सब छूट गया सा लगता है,पिर भी जाने मेरे हाथों मे ये किस का हाथ है,उस शाम की याद दिल मे आज भी ताज़ा है,जो बिना कुछ कहे शुरु हुई, और चुप चाप खत्म हो गई,कुछ कहना था शायद उस दिन,फिर आज क्यों होठों पे ठहरी वही बात है,एक दिन कविता सुन के वो हँस दी थी,कहा कि तुम्हारी कविता समझने के लिए भी कोई मेरे साथ चाहिए,तब से अब तक कुछ शब्द और जोड़े हैं उस कविता मे,उन्हे समझने के लिए वो यहीं मेरे साथ है,मै सोचता था कि कुछ ना कहकर भी सब कुछ कह जाऊँगा,और समझ जाएगी वो मेरे दिल की बात,पर देर हो गयी ऐसा कुछ कहने सुनने कि कोशिश मे,आज बदल गए दिन, बदल गए सब हालात हैं,एक बरसात की दोपहर मे,एक झील के किनारे जब हम बैठे थे,कँधे पर सर रख दिया था,कहा कि क्या होगा, अगर कभी हम अलग हो गए,अज तक मेरे साथ वही सवालात हैं,ये बड़ी अजीब बात है,जिसने साथ छोड़ दिया, आज वही मेरे साथ है,

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